Friday, August 20, 2010

माँ की डांट और बदकिस्मत मैं - सतीश सक्सेना

आज सुबह पंडित महेंद्र मिश्र के "समय चक्र " पर मिश्र जी द्वारा मम्मी की डांट से दुखी होकर लिखी गयी निम्न लिखित चिट्ठी पढ़ी  तो अपनी माँ की याद आ गयी काश मेरी माँ होतीं और महेंद्र मिश्र की तरह ही इस उम्र में  ( ५५ साला ) मैं भी डांट खाता ...
आंसू छलछला उठे , मिश्र जी का यह मीठा कष्ट जानकर ... पर हर व्यक्ति तो महेंद्र मिश्र जैसा खुशकिस्मत नहीं हो सकता ...है न.......


"मम्मी ने डांटा पत्रों को पढ़कर या बात को सुनकर हाँ, हूँ, नहीं में याने कम शब्दों में जबाब नहीं दिया करो ... जबाब ऐसा दो की समझ में तो आये की आपने क्या सुना और क्या पढ़ा है .... अब बताइये मैं क्या करूँ ... कम शब्दों में जबाब देना गलत है क्या ... जबाब कम शब्दों में दिया तो क्या अनर्थ हो गया ... अब बताइये मैं क्या करूँ ... पढ़ता हूँ तो खैर नहीं कम लिखता हूँ तो खैर नहीं कम शब्दों में बोलता हूँ तो खैर नहीं .... अब आप ही बताइये मैं क्या करूँ ..."

12 comments:

समयचक्र said...

सतीश जी
सादर अभिवादन,
दुनिया में माँ से बढ़कर कोई नहीं हैं .. माँ की बातों का या डांट का मैंने कभी बुरा नहीं माना है ... मेरे परिवार में मेरी पांच चाचीजी हैं जो बुजुर्ग हैं . समय समय पर मुझे सभी की मीठी झिड़कियों का सामना करना पड़ता है और मैं हंसकर स्वीकार कर लेता हूँ . अभी मेरी बावनवीं उम्र चल रही है और उम्मीद करता हूँ की आगे भी इनकी मीठी झिड़कियाँ सुनने को मिलती रहेगी. पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया ...

संगीता पुरी said...

काश सभी बेटे आप दोनो की तरह होते !!

P.N. Subramanian said...

अभी परसों ही हमें भी बत्ती मिली थी.

प्रवीण पाण्डेय said...

आप दोनों की अभिव्यक्ति देखकर मेरा तो मन भर आया।

Asha Joglekar said...

माँ की तो डाँट क्या बददुआ भी दुआ बनकर लगती है । ऐसा हमारी ताई (माँ) कहती थी और सच भी है । मिश्र जी और आप दोनो खुशकिस्मत हैं ।

Asha Joglekar said...

सतीश जी क्षमा चाहती हूँ ।

वाणी गीत said...

कुछ बच्चे माँ की डांट सुन लेते हैं ...कुछ नहीं भी सुनते हैं ...
अच्छी पोस्ट ...!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

माँ की डांट...... यानि मन में प्यार और बाहर...गुस्सा। मुझे माँ बहुत "क्यूट" लगती है डांटते
समय। आप भी अब जब भी वो डांटे उन्हें प्यार से दिखिएगा
माँ का बड़ा प्यारा रूप होता है यह..............

Urmi said...

बहुत सुन्दर पोस्ट! माँ चाहे कितना भी डांटे पर उनके डांट में प्यार और ममता छिपा होता है! हर माँ अपने बच्चों के भले के लिए ही डांटती है!

Anonymous said...

sundar post... maa ki daanth mein b pyar chhupa hota hai.....

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PreRna SinGH said...

Maa Danttee the to buri lagti thi....aj wh nhi hai to Zindgi adhurii lagti hai...Kash sab waqt rehte ye samjh le....Post acha lga...sacha lgaa